Monday, 12 December 2016

ऐसे ही

ऐसे ही अगर जिंदगी चल सकती है तो लिखा क्यों नहीं जा सकता। ऐसे ही अगर कुछ कहा जा सकता है तो फिर लिखने में क्या दिक्कत है। ऐसे ही अगर  कुछ भी सोचा जा सकता है तो लिखने में ऐसी कौन सी समस्या है।  
है मेरे दोस्त लिखने में समस्या है और हो रही है इस वक्त मुझे। आप पूछेंगे तो लिखने की जरूरत क्या है ? क्या किसी डॉक्टर ने कहा है कि  आज लिखना जरूरी है। नहीं ऐसा कुछ भी नहीं लेकिन लिखना आदत में रहे इसलिए बस ऐसे ही लिख रहा हूँ।  
कुछ चीजों की आदत रहे तो अच्छा रहता है। एक दिन  का भी विराम नहीं लिखने की आदत का कारण बन सकता है। मेरा मन मेरे काबू में नहीं रहता ये मैं जनता हूँ और इसलिए मैं उसे कल कोई बहाना नहीं देना चाहता कि वो मुझे याद करा सके कि  कल वो मुझे आज नहीं लिखने का तर्क दे और  लिखने से रोक सके या रोकने की चेष्टा भी कर सके।  
काश ऐसे ही मन के कुछ और  कहने के बावजूद  पहले भी कुछ ऐसा ही किया होता। बस ऐसे ही।  
करुणेश 
पटना
१२। १२। २०१६


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