पाकिस्तान ने दो भारतीय सैनिकों के शवों को क्षत विक्षत किया अभी चंद रोज पहले। इस घटना के महज कुछ ही दिन पहले छत्तीसगढ़ के सुकमा में २५ सी आर पी एफ जवान नक्सली हिंसा के शिकार हुए। इन दोनों घटनाओं पर सामन्य नागरिकों की प्रतिक्रया आश्चर्यजनक रूप से बहुत ही अलग है। जबकि परिणाम दोनों ही घटनाओं का एक जैसा रहा। यदि संख्या को आधार माने तो छत्तीसगढ़ की घटना पाकिस्तानी कुकृत्य से ज्यादा बड़ी प्रतीत होती है। लेकिन आम नागरिक इस घटना से सामन्यतः निरपेक्ष रहे जैसे कोई बड़ी सड़क या रेल दुर्घटना में २५ लोग मारे गए हों।
हमारी मानवीय प्रतिक्रियाएं भी उत्पाद की तरह हो गयी हैं जिसे हम उनके बिकने यानि पढ़े - देखे - सुने - लाइक किये जाने की संभाव्यता के आधार पर अभिव्यक्त करते हैं। अभी प्रेस की आजादी के सन्दर्भ में टीवी पर किसी को यह कहते हुए सुना था कि हमने सोचने का ठेका भी औरों विशेषकर इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया को दे रखा है। बात मुझे तर्कपूर्ण और अर्थपूर्ण दोनों लगी।
मुझे यह भी लगता है कि हम इकाई रूप में जितने अधिक सजग और सचेत होते हैं उतने ही कम सजग और सचेत सामाजिक सन्दर्भों में। समाज की उपयोगिता और उपादेयता का व्यवहारिक शिक्षण हमें आरंभिक दिनों में ही नहीं मिला है। परिणाम यह कि हम सार्थक सामाजिक इकाई होने की अपनी भूमिका अक्सर निभा नहीं पाते हैं। बचपन से ही हमने ऐसी आदतों का अभ्यास किया है कि बहुत बार न चाहते हुए भी हम वैसा व्यव्हार नहीं करते जैसा एक परिपक्व सामाजिक इकाई के रूप में किया जाना चाहिए।
संचार की आधुनिक तकनीक संपन्न दुनिया के बेशक अनेकों फायदे हैं लेकिन इसने मन की निजता छीन ली है। हमारी कल्पनाओं के रूप रंग और आकार तक इनकी मात्र छायाप्रति बन कर रह गए हैं। तकनीक का उपयोग करते करते कब हम स्वयं तकनीक बन गए यह पता ही नहीं चला। अब तो हम या तो तकनीक का उपभोग करते हैं या तकनीक हमारा। तकनीक ने हमें दूसरों की दृष्टि से देखना सुनना बोलना और सोचना सिखाया है। सब एक दूसरे की छायाप्रति। नैसर्गिकता और मौलिकता तकनीक का कॉपीराइट है मेरा और आपका नहीं।
ऐसे समय में जब अधिकांश पाकिस्तानी बर्बरता को कोस रहे हों तब भला २५ सी आर पी एफ जवानों की बात या फिर नक्सलियों की बात क्यों की जाए। शायद अधिकांश यह सोचते हैं कि छत्तीसगढ़ के मुकबले देश ज्यादा बड़ी चीज़ है। बात भी सही है। कम से कम इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया के आईने में।
करुणेश
पटना
०४। ०५। २०१७
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